भोपाल ।   सफर-ए-हज पर जाने वाले मप्र के हाजियों को मुंबई, दिल्ली या देश के अन्य इंबोर्केशन पॉइंट्स के मुकाबले ज्यादा रकम अदा करना पड़ेगी। रकम की यह अधिकता भी इतनी है कि सामान्य सफर पर जाने वाला यात्री इस राशि में दिल्ली या मुंबई की कई बार यात्रा करके लौट आए। देशभर के अलग-अलग राज्यों से हज पर जाने वाले मुसाफिरों के लिए हज कमेटी ऑफ इंडिया ने खर्च की अलग अलग दरें निर्धारित कर उनसे बकाया रकम करने का तकादा लगाया है। इस राशि की अदायगी के लिए 27 अप्रैल की अंतिम तारीख तय की गई है। सेंट्रल हज कमेटी ने हजयात्रा 2024 के चयनित आवेदकों से हज खर्च की आखिरी किश्त जमा करने के लिए कहा है। 27 अप्रैल तक जमा की जाने वाली कुल राशि में से अब तक जमा की जा चुकी दो किश्तें (81800+1,70,000) कम करने के लिए कहा गया है। हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा तय की गई कुल राशि के मुताबिक हर प्रदेश के लिए अलग-अलग खर्च तय किया गया है।

भोपाल या इंदौर इंबोर्केशन महंगे

हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा तय की गई हज राशि में मुंबई इंबोर्केशन पॉइंट का खर्च 3 लाख 21 हजार 150 निर्धारित किया गया है। जबकि दिल्ली इंबोर्केशन पॉइंट के लिए यह खर्च 3 लाख 30 हजार 100 रुपए है। इसके विपरीत मप्र के दोनों इंबोर्केशन पॉइंट इन दोनों शहरों से महंगे। जहां भोपाल के हाजियों को दिल्ली के मुकाबले 57 हजार तो मुंबई के मुकाबले 66 हजार रुपये ज्यादा अदा करना होंगे। इसी तरह इंदौर के हाजियों के लिए दिल्ली के मुकाबले 68 हजार और मुंबई के मुकाबले 50 हजार रुपये ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। जबकि भोपाल या इंदौर से मुंबई और दिल्ली का हवाई किराया 5 से 7 हजार रुपये में पूरा हो जाता है।

सबसे सस्ता मुंबई, महंगा गया

सेंट्रल हज कमेटी द्वारा एक ही देश के अलग-अलग हाजियों के लिए तय किए खर्च में बड़ी असमानता है। जहां तय किए गए खर्च में सबसे सस्ता मुंबई है। इसका कुल खर्च 3 लाख 21 हजार 150 रुपये है। वहीं देश का सबसे महंगा हज खर्च बिहार के गया इंबोर्केशन के लिए तय हुआ है। यहां से हज पर जाने वाले एक हाजी को 4 लाख 11 हजार 600 रुपये है।

यह हाजियों से लूट है

ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी का कहना है कि आम दिनों में मक्का मदीना के लिए उमराह सफर के लिए अधिकतम राशि एक से सवा लाख से तक ली जाती है। इस राशि में निजी टूर ऑपरेटर टिकट, वीजा, होटल, खाना पीना, लोकल कन्वेंस से लेकर लॉन्ड्री और गाइड तक मुहैया कराते हैं, लेकिन हज खर्च इसके मुकाबले कई गुना वसूला जा रहा है। सरकारी व्यवस्था में होने वाली इस यात्रा में ठहरने के इंतजाम से लेकर घटिया एयर लाइंस तक की शिकायतें भी शामिल रहती हैं। काजी अनस ने कहा कि सरकारों के जिम्मे सभी धर्मों की आस्थाओं को पूरा कराना होता है। जिस तरह अन्य धर्मों के अनुयायियों के लिए रियायती और मुफ्त धार्मिक यात्राओं की व्यवस्था की जाती है। मुस्लिम समुदाय भी इस देश का नागरिक और हिस्सेदार हैं। उनके लिए भी उचित रास्ते निकाले जाने चाहिए। ताकि महंगाई और बड़े खर्च की वजह से किसी की आस्था अधूरी न रह जाए।